म्है आया हो डौढ्यां रै बार
मंही घमोड़ै माटलौ
घमोड़ै है ईसर जी रा नार
डीगा गौरा पातळा
वारै हिवड़ै है नवसर हार
गज गुजरातण कांचळी
वारै औढ़ण नै दिखणी रौ चीर
हरी गुंदल रौ घाघरौ
अब जागौ नीं बाईसा रा बीर
बारै ऊभी तीजणियां
थांरी तीजणियां ने तीज दिराय
हरिया मूंग मंडोर रा
म्है आया हो डौढ्यां रै बार
मही घमोड़ै माटलौ
हम आयी ड्यौढी के बाहर
दही के बिलोने की आवाज सुनायी दी
बिलोना कर रही है ईसर जी की नारी
जो लम्बी गौरवर्णी इकहरे बदन वाली हैं।
उनके हिये पर हैं नवसर हार
गुजराती कंचुकी पहने हुए है
उनके ओढ़ने के लिए 'दिखणी' का चीर है
हरी मखमल का लंहगा है
अब जगिये बाईसा के बीर
बाहर खड़ी हैं तीजनियाँ
आपकी तीजनियों को तीज दिलायेंगे
हरे मूंग मंडोर के
हम आयी ड्योढी के बाहर
दही बिलोने की आवाज सुनायी दी