विष पीवै इम्रत कहै, कनक कटोरा मांहि।

याह मरणै की सौंज है, पीवैस जीवै नांहि॥

स्रोत
  • पोथी : श्री महाराज हरिदासजी की बाणी सटिप्पणी (निरपख मूल) ,
  • सिरजक : हरिदास ,
  • संपादक : मंगलदास स्वामी ,
  • प्रकाशक : निखिल भारतीय निरंजनी महासभा, दादू महाविद्यालय, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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