देवर खांडो ले उड्यो, कन्त लेय करवाल
न्हावण पाछै ही सही ,पूत ल्यावसी ढाल॥
खेलै खड़्ग-कृपाण सूं, वाढै अरियां मुण्ड।
नाहर तो निरभै रमै, स्याळ्या हेरै झुण्ड॥
डागळियै चढ़ देखस्यां, आव सखी मो कन्त।
पचरंगो फर फर उडै, दुसमण देख डरन्त॥
रुधिर बह्वै रणखेत में, निपजै नर रणधीर।
बैरी कै छाती चढ़ै, देवै ऊभो चीर॥
जुद्ध नगारा बाजिया, जाग्यो मणिधर नाग।
नागफणी फुंफकार सूं, जंगळ लागी आग॥
धरर धरर धूजी धरा, अम्बर छाई धूळ।
राता नैणां रा धणी, अरियां आंख्यां सूळ॥
बाबुल मो मन हरखियो, हाथ ढाबियो सूर।
बाजूं कायर-कामणी, नीं दाता मंजूर॥