बाला चाल बीसरे, मो थण जहर समाण।

रीत मरंतां ढील कीं, ऊठ थियो घमसाण॥

घमासान युध्द शुरू होने पर भी प्रमाद में पड़े हुए अपने पुत्र को चेतावनी देती हुई वीर माता युध्द के लिए उसे प्रोत्साहित करती है- हे पुत्र! अपनी कुल-क्रमागत रीती को मत भूल। क्या तू नहीं जानता कि मेरे स्तनों में तो जहर समाया हुआ है अर्थात मेरा स्तन-पान करने वाले के लिए अवसर पड़ने पर प्राणोंत्सर्ग करना अनिवार्य है और फिर रणभूमि में वीर-गति पाने की तो अपने यहाँ रीति ही है- तब देर कैसी? उठ, घमासान युध्द शुरू हो गया।

स्रोत
  • पोथी : वीर सतसई (वीर सतसई) ,
  • सिरजक : सूर्यमल्ल मिश्रण ,
  • संपादक : डॉ. कन्हैयालाल , ईश्वरदान आशिया, पतराम गौड़ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
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