गमे गमे सहूइ दलि आव्यउं, चडी चाल्यउ सुरताण।

जिहां मुकाम दीइ तिहां रूंधइ, सात कोस मेल्हाण॥

हाथी सहस बिच्यारि पाखरीया, घंटा घूघरमाल।

पाए सांकलां करइ खलूका, कुंभस्थल सुविसाल॥

श्रावण मासि ऊनया दीसइ जेहवा काला मेह।

गयवर ठाठ चालंता दीसइ, जोतां नावइ छेह॥

सालिहोत्र जेहनी कसुटी, तेहवा कोडि केकाण।

गढ जालहुर भणी सांचरीउ साव दलइ सुरताण॥

भोई मेहर अनइ ठाठीया, चालइ काहर कमाणी।

च्यारि सहस साथइ सांचरीया वहइ पखाली पाणी॥

त्रीस सहस कटकीया वाणीया साथइ वस्तु चलावइ।

गाडे चडी चालती घाणी घांची खेडत आवइ॥

मोची गांछा नइ सतूआरा, साथइ चालइ माली।

दरजी बाबर ऊड चालीया, च्यारि सहस तंबोली॥

बगनीघडा कावडि चालइ, भाठी वहइ खमार।

पांच सहस चालइ भठीयारा, घाटघडा लोहार॥

सवे सिलावट सांचरइ साथि, छोह वहइ चूनारा।

चालइ वुहरा कागलकूटा, हीर तणा तूनारा॥

लाख बिच्यारि वाणिजू चालइ, बार लाख उलगाणा।

करकटीया हबसी भाथाइत, फरसीधर सपराणा॥

दल चालंतां धरणी कांपइ, सेष झालइ भार।

सायर तणां पूर ऊलटियां, जेहवां रेलणहार॥

बरगां ढोल नफेरी वाजइ साथइ सहस अढार।

जांगी ढोल नीसाण ध्रसूकइ, सुणीइ जोयण बार॥

पडइ त्रास भडवाय तुरकनइ, देस दहोदिसि नाठा।

घणा दिवस दल मारगि चाली मारूआडि मांहि पइठा॥

स्रोत
  • पोथी : कान्हड़दे प्रबन्ध ,
  • सिरजक : पद्मनाभ ,
  • संपादक : कान्तिलाल बलदेवराम व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : second
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