ऊजळ चित वित ऊजळौ, ऊझळ प्रीत इमट्ट।
इण कारण धर ऊजळी, थित दीसै थळवट्ट॥1॥
झुकै कोट जिम झूंपड़ा, वाड़ी बनां विकट्ट।
फाटक ज्यूं फिळसौ फबै, वा धरती धळवट्ट॥2॥
सौरभ धोरां रेत सज, हियै हेत री हट्ट।
गूंजै डिंगळ गीतड़ा, वाह देस थळवट्ट॥3॥
खाख दिवड़ कांबळ खँवै, लियां हाथ में लट्ठ।
अलगूंजां वाळा अलल, थित ग्वाळा थळवट्ट॥4॥
नाडा भरिया नीर सूं, वन हरिया सज वेस।
बरसाळै नदियां बहै, दूध दही थळ देस॥5॥
फूलै अरणा फोगड़ा, झाड़ बांठकां झंग।
हरियाळी धोरां हवै, रंग रे थळवट रंग॥6॥
भाखरिया दीसै भला, हरिया भरिया हेत।
चित चावै नह छोडणा, खूब रसाळू खेत॥7॥
मीठी टीप मलार री, मही घमोड़ै माट।
करै जमानै कोड में, थई-थई थळवाट॥8॥
सागां कूमट सांगरी, काचर फळियां कैर।
हद बूठां रळियां हुवै, लागै थळियां लैर॥9॥
धवळा कंवळा धोरिया, करै मोरिया केळ।
पंथी विलमीजै परौ, मन कुदरत सूं मेळ॥10॥
लाल सुरंग ममोलिया, उपजावै अनुराग।
सुख भर उडता सूवटा, विलसै हरियौ बाग॥11॥
मेळां खेळां मांयनै, हियै उझेळां होय।
निज थळ डाबर नैणियां, जळ भर डाबर जोय॥12॥