ते रज ध्रम ते राजधन, सयल धरम तूं सार।
मानीजै कहियौ अम्हां, असनीलै असवार॥
हे नीले अश्व परआरूढ़ वीर! तुम्हारा क्षात्र धर्म और तुम्हारा राजधर्म या राजोचित मान-मर्यादा धन्य है, प्रशंसनीय है। तुम सम्पूर्ण धर्मों का सार हो। मेरा कथन(निवेदन) स्वीकार कीजिये।