स्वप्नै मैं मेलो भयौ, स्वप्नै मांहि बिछोह।

सुन्दर जाग्यौ स्वप्न तें, नहीं मोह निर्मोह॥

स्वप्नै मैं संग्रह कियौ, स्वप्नै ही मैं त्याग।

सुंदर जाग्यौ स्वप्न तें, नां कछु राग बिराग॥

स्रोत
  • पोथी : सुंदर ग्रंथावली ,
  • सिरजक : सुंदरदास जी ,
  • संपादक : रमेशचन्द्र मिश्र ,
  • प्रकाशक : किताबघर, दरियागंज नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै