सूकां तगरां सींगटी, लपट पड़्या ओटाळ।

जी लूआं ले नीसरी, आयो हिरणां काळ॥

स्रोत
  • पोथी : लू ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार