सोई चित्रांम सँपेखियौ, तवियौ कूरंम तांम।
मान कहै सकतेस सूं, चितवी घर चित्रांम॥
मानसिंह ने वह चित्र-पुञ्ज देखा और देखकर उसी समय शक्तिसिंह से कहा कि अपने घर के चित्र देखो।