संपेखें घर घर सहर, अति ऊतम आरांम।
आखाड़ौ भांडां तणौ, चोतवियौ चित्रांम॥
मानसिंह ने गोगूंदा नगर के घर-घर में बहुत ही अच्छे सुख साधन देखे। अंत में उसने एक भांडों का अखाड़ा देखा जिसमें अनेक प्रकार के चित्र बने हुए थे।