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काळी कोसां आंतरै
भागीरथसिंह भाग्य
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काळी
कोसां
आंतरै,
परदेसी
री
प्रीत।
पूग
सकै
तो
पूग
तूं,
नेह
विजोगी
गीत॥
स्रोत
पोथी
: दरद दिसावर
,
सिरजक
: भागीरथसिंह भाग्य
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प्रेम
वियोग
संबंध