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बाजे मति मति बांसुरी
नागरीदास
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बाजे
मति
मति
बाँसुरी,
मति
पिय
अधरन
लागि।
अरी
घर
बसी
देत
क्यों,
रोम
रोम
में
लागि॥
स्रोत
पोथी
: राजस्थानी भाषा और साहित्य
,
सिरजक
: नागरीदास
,
संपादक
: मोतीलाल मनारिया
,
प्रकाशक
: राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर
,
संस्करण
: छठा संस्करण
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