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अंजस सोशल मीडिया
अलसौंहैं निसि के जगे
नागरीदास
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अलसौंहैं
निसि
के
जगे,
सर
बरसौहैं
मैंन।
इक
टक
सौंहैं
अधखुले,
सहज
हंसोहै
नैंन॥
स्रोत
पोथी
: नागरीदास ग्रंथावली
,
सिरजक
: नागरीदास
,
संपादक
: डॉ. किशोरीलाल गुप्त
,
प्रकाशक
: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
,
संस्करण
: प्रथम
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