नभ सूं उतरी वादली ज्यूं वेर्‌यां पणिहार।

साजन सामा आविया उळझ पड़ी उण वार॥

भावार्थ:- नभ से बादली इस प्रकार उतरी जैसे कुए से पनिहारिन। साजन को सामने आता देख वह उलझ कर गिर पड़ी।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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