पाबू पतियारोस, कलजुग में थारो कमंध।
सेवग जग सारोह, राखे धांधळ राव उत॥
दुनियां परदेसेह, भीड़ पड़्यां पाबू भजै।
रिम सबळा रो रेह, राखे धांधळ राव उत॥
पाबू तूं प्रतिपाळ, दोहीती दोहीतरा।
करता खोटै काल, ऊपर धांधळ राव उत॥
भर नवनिध भंडार, हर लूंटायौ हूंसिये।
पौरस चढियौ पार, आवै धांधळ राव उत॥
तो जीयारी तत्थ, भगवंत लीला मैं भणी।
आखूं सूधा अत्थ दूहा कह्यां समझै दुनी॥
कमधज राव सिकार, चढ चंचल वन वन चालिउ।
लुबधी जीवां लार, पड़ियौ नांही पाकड़ै॥
तिरखा बत तलाव, बलि आयौ बै पार रौ।
पीठौ कमधज दाव, आगै झीलै अपछरा॥
पीछानै पाणीह, कपड़ा ले नै कूदियौ।
के के कूकांणीह, लभ हीणा दे लूघड़ा॥
कमधज यौं कहियौह, अकन कुंआरी अपछरा।
देखै मूक्र दिया है, तौ देऊं कपड़ा तुरत॥
पुण परवस पड़ियांह, सुण धांधळ साची सकति।
बिजड़ा हथ बीआंह, परणी छां तूं आपरण॥
अेनी अरज अमाह, तोसूं अेकण वात री।
नातौ नहीं कहेह, कहती यूं सांभळ कमंध॥
महिपति मनिखां मांहि, बसै कदे नह देवता।
रैभौ ए थरहाय, मन जोवां आवै मिलौ॥
तद कमधज तांहीह, परणी एकज अपछरा।
रंभा सूं अति रति, केवातुर रहियौ कमंध॥
अपछर नूं रै आयधांव, रहियौ हूंतौ राठवड़।
पाबू पूत प्रधांन, जायौ सुभ बेला जदे॥
रंभा नूं राजीह, कर कौलू आयौ कमंध।
वांसै दैराजीह, परणीची हूई निपट॥
ऊगै रवि आवैह, आथमीयै जायै अवस।
चांना नह चावेह, के दिन यूं गमिया कमंध॥
ओ अमला हुय अंध, केथ जायै थितियौ कमंध।
यही सू वासनमंध, कमलादे मन थी कह्यौ॥
देखे पति अेकै दीह, अधरैणी रो ऊठियउ।
आपण अछै अबीह, कमलादे वांसौ कियउ॥
धांधल नूं धाएह, आई सांहमी अपछरा।
आ वांसै आईह, तौ वाली वालम तुरण॥
पीतम पारौ पूत, लै ज्यूं हूं कानो लिसूं।
कमलादे करतूत, आई देखण आंपणी॥
यूं कहि हुई अलोप, अत प्यासी थी अपछरा।
कमलादे सूं कोप, कर धांधल तत खिण कह्यौ॥
निरबुद्धी नारीह, कथ लोके साची कही।
हुई होणहारीह, पाबू ले घर दिस पुलै॥
कमलादे ततकाल, ब्रोखां भर छाड़ै विरंग।
बाहां पकड़े बाल, हुलरावै हरखी हियै॥
पाबू ले पल मांहि, घोड़ो खड़ आई घरे।
वर वाजत्र वजाय, कहियौ जायौ दीकरौ॥
न्रिप धांधल नव निद्द, औ समपै आसालुआं।
प्रथमी मांहि प्रसिद्ध, कीका जायो रोकरो॥
दिन दिन वाधै देह, वरस वरसमैं अनवधै।
पाबूं तूं प्रतपेह, काका पति वांधव कहै॥
पेखे दिन पूगोह, राव धांधल विसरामियौ।
उणयाहर ऊगोह, किरणालौ बूड़ौ कमंध॥
बूड़ौ बैसाणेह, टीकै राव धांधल तणेह।
जायौ धुर जाणेह, हालै पाबू रै हुकम॥
खैग अलग्ग खड़ेह, पाबू अणचीत्यौ पड़ै।
त्रिजड़ा हय त्रिजड़ेह, बिसुधा कीधी आप वस॥
तौसूं सुण तिर वार, पाबू म्हे पोंहचां नहीं।
जपता यूं जोधार, सांमत धांधल सींह उत॥
ड़ियौ अपछर पेट, कमलादे मोटौ कियउ।
जिण पाबू कुण जेट, आवै धांधल राव उत॥
पाबू परवाड़ाह, आखाड़ा कीधा अनंत।
गुण भरिजै गाडाह, वाधै धांधल राव उत॥
सारंग सिंध उलंध, विण लेखै सांढां वरग।
आणे दिये अणभंग, रमतौ धांधल राव उत॥
पाबू तैं पाणेह, आबू धग धूपो अनड़।
सुणियौ सुरताणेह, राणे धांधल राव उत॥
कमलादे एकार, बेटा बोलाया बिन्हें।
बेगौ करौ विचार, हिव बायां मोटी हुई॥
बीलो लोक बिदौड़, दीजै सोमल देबड़ां।
जींदै प्रेमल जौड़, मोमन मैं बूडौ मुंणै॥
माता बैंण प्रमांण, कीधौ बूड़ा रौ कह्यौ।
वर सौनल वाखांण, भालाळौ अधिकौ भणै॥
प्रेमां परणावीह, सोढा कांइ सीसोदियांह।
देखों बोदावेह, ऊखीची आगा लगै॥
सारंगियौ साहेह, मार्यौ थौ पाबू मुणै।
वातां वीसारेह, नेठ पड़ी चीता नरह॥
बूडै फेर जबाब, कीधौ पाबू सूं कमंध।
हितरी बात हसाब, सारंग मैं मार्यौ सही॥
पेमानूं परणाव, बैर तिकौइज वाढसां।
तोही मुख दे ताव, पाबू हुय ऊठे परो॥
मुणै पाबू मायांह, भायां भोजायां भणा।
बुध हीणी बायांह, मूरख खीची नै म द्यौ॥
माता बूठै मेल, आलोचे पाबू असन।
खीची हूंत अस खेल, आज कीधां नवणै अवस॥
न्रिप मेले नारेळ, जायल ले जाए जरुर।
सुण जींदै हुय सेर, विध सूं श्रीफल वांदियौ॥
जायल हूंता जांन, चूंप करे खीची चढै।
आरोहे असमांन, छिलता कोलू छत्रपत॥
सामां सामे लेह, सुण धांधल आया सकौ।
अणभंग अणमेलेह, कूदावंती कालवी॥
लाभै नहीं लाखेह, पुड़ मैं मांडी पुर पखै।
इसड़ै आरीखेह, जोये मुर भवनां जुड़ै॥
सारा हैं असवार, जोए जोए नैं जांनिया।
पुहमै पैलै पार, बींद वखाणै कालवी॥
माहरै मन मानीह, आ घोड़ी लेऊं अवस।
अपता यूं जांनीह, भोलेरा साहिब भणैं॥
पुख तेरा नरपाल, नां जींदा देसी नहीं।
सुण ताहिलौ सवाल, मग माडीस कहियौ मनः॥