पाप पदारथ पाडूवों, ते जीव नें घणो भयंकर।

ते घोर रुद्र छें बीहांमणो, जीव नें दुख नों दातार॥

पाप पदार्थ हेय है। वह जीव के लिए अत्यंत भयंकर है। वह घोर रूद्र डरावना और जीव को दुःख देने वाला है।

स्रोत
  • पोथी : आचार्य भिक्षु तत्त्व साहित्य ,
  • सिरजक : आचार्य भिक्षु ,
  • संपादक : आचार्य महाश्रमण ,
  • प्रकाशक : जैन विश्व भारती प्रकाशन
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