ना सुख चावु सुरग रो, नरक आवसी दाय।

म्हारी माटी गाँव री, गळियां जै रळ जाय॥

स्रोत
  • पोथी : दरद दिसावर ,
  • सिरजक : भागीरथसिंह भाग्य
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