गाज न समझूं, वादळी मतना पळका मार।
बूंदां लिखदे बांच लूं साजन रा समचार॥
भावार्थ:- बादली, मैं तेरी गरज में नहीं समझती। तेरा यह चमकना भी व्यर्थ है। बूंदों के रूप में साजन के समाचार लिखदे जिन्हें में पढ़ लूं।