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साइट: परिचय
संस्थापक: परिचय
अंजस सोशल मीडिया
ज्यूं मोहन बिरखा बिना
मोहनदास जी
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ज्यूं
मोहन
बिरखा
बिना,
फूलै
फलै
ना
साख।
जैसे
बिरहन
पीव
बिन,
जळ
बळ
होवै
राख॥
स्रोत
पोथी
: संत कवि मोहनदास की वाणी और विचारों का अध्ययन
,
सिरजक
: डाॅली प्रजापत
,
प्रकाशक
: हिंदी विभाग, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर
जुड़्योड़ा विसै
वियोग
निर्गुण भक्ति काव्य