सांगरियां सह पाकियां, लूआं री लपटांह।
खोखा लाग्या खिरणनै, दे झाला हिरणांह॥
भावार्थ:- शमी वृक्षों की कच्ची-कच्ची फलियाँ (सांगरी) लूओं की लपटों से पक चुकी है वे पकी हुई कलियाँ (खोखा) हरिणों को संकेतों द्वारा आमंत्रित कर झड़ने लगी है।