पोखी कळियां प्यार सूं भर-भर आस अटूट।
बिलखै सारी बेलड़्यां लूआं लीधी लूट॥
भावार्थ:- अनेक प्रकार की आशाएँ लेकर वल्लरियों ने कलियों का बड़े प्यार से पोषण किया था। अब वे विलख-विलख कर रो रही है। लूओं ने कलियों को जला कर उनका सर्वस्व लूट लिया है।