लूआं लाग पिळीजिया, आमां हाल बेहाल।

पींजू मुरधर पाकिया, ले लाली ज्यूं लाल॥

भावार्थ:- लूओं के ऊग्र ताप को आम सह सके, वे पीले पड़ गये और उनका बुरा हाल हो गया। परन्तु करील फलों का लू कुछ बीगाड़ सकी, अपितु वे पक कर लालों की तरह लाल हो गये।

स्रोत
  • पोथी : लू ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : चतुर्थ
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