काची कूंपळ फूल फळ, फूटी सा बणराय।
बाड़ी भरी बंसत री, लूटी लूआं आय॥
भावार्थ:- कच्ची-कच्ची कोंपलें. फूल, फल और सारी वनस्पति, जो हाल ही में मुकुलित हुई थी, वसंत की उस हरी-भरी वाटिका को लूओं ने आते ही लूट लिया।