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गुरु बिन अन्धा वे सकल
किशनदास जी महाराज
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गुरु
बिन
अन्धा
वे
सकल,
गुरु
बिन
मूढ़
अजान।
किशनदास
गुरु
गम
बिना,
सब
नर
पशु
समान॥
स्रोत
सिरजक
: किशनदास जी महाराज
जुड़्योड़ा विसै
रामस्नेही सम्प्रदाय
गुरु
निर्गुण भक्ति काव्य