सोनै सूरज ऊगियो दीठी वादळियां।

मुरधर लेवै वारणा भर-भर आंखड़ियां॥

भावार्थ:- आज सोने का सूरज उगा जो बादळियां दिखाई दीं। आंखें भर-भर कर मरुधरा बलैयां ले रहीं है।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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