नारद बचन सुंदर सुणि, दृढ़ धयां मन माहि।

करे करतार हस्ये खरो, डरप करो मन काहे॥

स्रोत
  • पोथी : भारतीय साहित्य रा निरमाता संत मावजी ,
  • सिरजक : संत मावजी ,
  • संपादक : मथुराप्रसाद अग्रवाल, नवीनचन्द्र याज्ञिक ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै