एकां रे चित्रांम रा, भुंडा दीसै भड।
एकां नांचै सांपरति, वीचारै न वितंड॥
शक्तिसिंह कहने लगे कि एक ओर तो आपको चित्र में दर्शायी हुई अश्लीलता दिखाई दे रही है किंतु दूसरी ओर जो प्रत्यक्ष(वास्तविक रूप में) नृत्य करती है उसके भोंडेपन पर आपका ध्यान नही जा रहा।