ए वाड़ी ए वावड़ी, ए सर केरी पाळ।
वै साजण वै दीहड़ा, रही सँभाळ सँभाळ॥
यह वाटिका यह वावड़ी, यह तालाब की पाल, वे सज्जन और वे दिन इनका बार-बार याद करती हूँ।