महाराण मेवाड़ रा, होव थांरी होड़।

जूझ्या राणा थे ज़बर, चमकावंण चित्तौड़॥

दरद सया हित देश रे, फिरिया चारुं फेर।

पत राखी पातां तणीं, शापुर वाळो शेर॥

बाजे तूं बड़भागिणी, सकल जगत री शान।

रण भिड़णां सूरा रमे, धर राखण धनवान।

बड़भागी तूं बाजरा, उगियो मरुधर आय।

जिणने सूरा जूझता, निज लहू नहलाय॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप सिंह इण्डाली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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