तपै आसोजी तावड़ौ,

बाजरियां बळ जाय।

काचर रह्या अधपाकिया,

बेलड़ियां कुम्हळाय॥

तांता बळग्या तांतिया,

हुयौ घास रौ होम।

पड़ी छिंयाड़ी काळ री,

भुरट ढकीजी भोम॥

तूंबां री बेलां बधै,

उपजै नित अणमाप।

कुण जांणै इण मिस कटै,

प्रिथमी हंदौ पाप॥

बात बडेरा कैवता,

मन में धीरज राख।

एक मेह आसी भळै,

सौळै आंना साख॥

आद जुगां सूं आज तक,

तन री मिटी त्रास।

मांणस तौ मन में करै,

आसोजां री आस॥

स्रोत
  • पोथी : रेवतदान चारण री टाळवी कवितावां ,
  • सिरजक : रेवतदान चारण कल्पित ,
  • संपादक : सोहनदान चारण ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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