रळमिळ चाली तीजण्यां गाती राग मल्हार।
भणक पड़ी जद वादळी वरस पड़ी उण वार॥
भावार्थ:- तीजनियां हिल-मिल कर मल्हार राग गाती हुई चली। बादली के कानों में यह भनक पड़ते ही वह उसी समय बरस पड़ी।