अम्बर में उमड़ी घटा आभै अटकी आंख।
चढ-चढ छातां छोळ में मोर संवारै पांख॥
भावार्थ:- उमड़ती हुई घटा को देख कर आकाश में आंखें अटक गई। छतों पर चढ़ कर आनंदातिरेक में मोर पांखें फैला रहे हैं।