भैंसां मूळ न पावसै, सूकै पाडी साथ।
हार दुहारा उठ्ठिया, ठाली बरतण हाथ॥
भावार्थ:- भैंसों के स्तनों में अब दूध नहीं आता है इसी कारण उनकी बच्चियाँ भी सूखी जा रही हैं। दूध दूहने वाले हार कर खाली बर्तन लेकर ही उठ खड़े होते हैं।