वाही रांण प्रतापसी, बगतर में बरछीह।

जाणक झींगर जाळ में, मुँह काढ्यौ मच्छीह॥

स्रोत
  • पोथी : महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ व्यक्तित्व और कृतित्व (प्रताप रा दुहा) ,
  • सिरजक : पृथ्वीराज राठौड़ ,
  • संपादक : भूपतिराम साकरिया ,
  • प्रकाशक : पंचशील प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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