चारण कुल रो च्यानणों, बारठ कुल रा भान।
कुंवर वीर परताप हा, मरद देश रो मान॥
मरूभोम रा भाल ने, ऊंचो करियो आज।
सिंह री ऐक दहाड़ सूं, कांप्यो बिरटिस राज॥
आजादी री आग में, पड़िया कर आगाज।
कुंवर प्रताप रा जोश स, कांप्यो गौरा राज॥
जोधा थारा जोश रो, कितो’क करां बखाण।
चारण कुल रा चाँद थे, रहता सीनों ताण॥
निशदिन थारा नाम का, जळसी जग मं दीप।
केसरी सिंह रा लाल न, नमन करे कुलदीप॥