भम भम दुरगै भाखरां, नृप कीधौ समरत्थ।

अबै झालो अजीतसी, रजवट हन्दो रत्थ॥

स्रोत
  • पोथी : मध्यकालीन चारण काव्य ,
  • सिरजक : समरथदान ,
  • संपादक : जगमोहन सिंह ,
  • प्रकाशक : मयंक प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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