रे मन, छन ही में उठ जाणो,
ईं रो नीं है ठोड-ठिकाणो॥टेक॥
साथै कईं नीं लायौ पैली, नीं साथै अब जाणो।
वी वी आय मळेगा आगे, जी जी करम कमाणो॥
सो सो जतन करे ईं तन रा, आखर नीं आपांणो।
करणो वै सो झट कर ले, पछै पड़ै पछताणो॥
दो दन रा जीवा रे खातर, क्यों अतरो ऐंठाणो।
हाथां में तो कईं नीं आयो, बातां में बेकाणो॥
कणी सीम पै गांम बसावै, कणी नीम कमठाणो।
ई तो पवन पुरख रा मेळा, चातुर भेद पिछाणो॥