आश्व पदार्थ पांचमों तिणनें, कही जेन आश्व दुवार।

ते कर्म आवाना छें बारणा, ते बारणा नें कर्म न्यार॥

पांचवां पदार्थ आश्रव है। इसको आश्रववद्वार कहा जाता है। आश्रव कर्म आने द्वार हैं। ये द्वार और कर्म भिन्न-भिन्न हैं।

स्रोत
  • पोथी : आचार्य भिक्षु तत्त्व साहित्य ,
  • सिरजक : आचार्य भिक्षु ,
  • संपादक : आचार्य महाश्रमण ,
  • प्रकाशक : जैन विश्व भारती प्रकाशन
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