आश्व तों निश्चेंइ जीव छें, श्री वीर गया छें भाख।
ठांम ठांम सिधंत में भाखीयों, ते सुणजों सूतर नी साख॥
आश्रव निश्चय ही जीव है। श्री वीर ने ऐसा कहा है। सूत्रों में जगह-जगह ऐसी प्ररूपणा है। अब उन सूत्र-साखों को सुनें।