आश्व दुवार तों छें जीव रा, भला भूंडा परिणांम।

भला परिणांम पुन रा बारणा, भूंडा पाप छें तांम॥

आश्रव द्वार जीव हैं क्योंकि जीव के भले-बुरे परिणाम ही आश्रव हैं। भले परिणाम पुण्य के और बुरे परिणाम पाप के द्वार है।

स्रोत
  • पोथी : आचार्य भिक्षु तत्त्व साहित्य ,
  • सिरजक : आचार्य भिक्षु ,
  • संपादक : आचार्य महाश्रमण ,
  • प्रकाशक : जैन विश्व भारती प्रकाशन
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