नदिया नाव संजोग बंध्यौ है सुत वित सब परिवार।

आप आपौ देय भूल्यौ बुधि बल पार खुवार।

विधि निषेध अर आन पूजा , रसना नांही राम।

मोह ममता सोभ लाग्यौ, ऐसे बिगड्य़ो काम।

देवादास सब आस तज कै गुरु सिखा ले सार।

निसदिन राम ही राम रटिये, भवसागर होय पार॥

स्रोत
  • पोथी : रामस्नेही संत स्वामी देवादास व्यक्तित्व एवं कृतित्व ,
  • सिरजक : स्वामी देवादास जी ,
  • संपादक : शैलेन्द्र स्वामी ,
  • प्रकाशक : जूना रामद्वारा चाँदपोल , जोधपुर-342001
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