नदिया नाव संजोग बंध्यौ है सुत वित सब परिवार।
आप आपौ देय भूल्यौ बुधि बल पार खुवार।
विधि निषेध अर आन पूजा , रसना नांही राम।
मोह ममता सोभ लाग्यौ, ऐसे बिगड्य़ो काम।
देवादास सब आस तज कै गुरु सिखा ले सार।
निसदिन राम ही राम रटिये, भवसागर होय पार॥