नमो अलख अणरूप, आद अनादी देवा।

ब्रह्मा सेस महेस, ताहि पुनि करै जो सेवा।

नारद सारद जपत, इंद्र सनकादिक ध्यावे।

गण गंधर्व सब देव, पार कोऊ नहीं पावे।

भगत विछल कह गाय है, तीन काल के संत सब।

सेवगराम की वंदना, कूंन लहै परवान अब॥

स्रोत
  • पोथी : श्री सेवगराम जी महाराज की अनुभव वाणी ,
  • सिरजक : संत सेवगराम जी महाराज ,
  • संपादक : भगवद्दास शास्त्री, अभयराज परमहंस ,
  • प्रकाशक : फतहराम गुरु मूलाराम, अहमदाबाद ,
  • संस्करण : प्रथम
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