सदा मेहाई साय, राय जांगळधर वाळी।

सदा मेहाई साय, लाखीणी लोवड़याळी॥

सदा मेहाई साय, रात दिन रहे रुखाळी।

सदा मेहाई साय, दैत्य दळ भंजणवाळी॥

देशाणराय करज्यो दया, सदा रटूं सुरराय।

कष्ट मिटाज्यो दास का, अर्जी सुणंता आय॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप सिंह इण्डाली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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