सदा मेहाइ साय, राय जांगळधर वाळी।
सदा मेहाइ साय, लाखणी लोवड़याळी॥
सदा मेहाइ साय, रात दिन रहे रुखाळी।
सदा मेहाइ साय, दैत्य दळ भंजणवाळी॥
देशाणपत किज्यो दया, सदा रटूं सुरराय।
कारज सारो दास का, अरजी सुणता आय॥