भरम तणां भूंगड़ा, बांध मूठी डहकावै।
अळगो थको अजांण, जांण आपौ अपणावै।
वहै काठी मोह री, पड़ै लाठी सिर ऊपर।
कोट कळा काछतौ, फिरे नाचतौ घरोघर।
टुकड़ा मांग खावै अवर, सांकळ खूंटो सांन रौ।
मन हुऔ हाथ माया तणै, ‘अलू’ ज्यूं बाजीगर रौ बांदरौ॥