दूहा

निमो निमो जग नीमवण, सारद्दा सरसत्ति।
चांमडा हीत चीतवौ, सुधि बुधि समपि सुमत्ति॥1॥

अंमोलक अविरल अप्रम, उमया आखर आप्पि।
हरिसिधि सों निरमळ हुवां, ज्यों गोविंद गुण जप्पि॥2॥

निगुणां सगुण पटंतरौ, मुझ परी छवि माय।
निगुणां सूं सगुणा हुवै, सगुणां निगुण न थाय॥3॥

हरि जे तूं जायौ न हुत, प्रिथमी परमाणंद।
अम्ह तो के जांणत अनत, गुण तोरा गोविंद॥4॥

गउधन सरस गवाळियां, जब तूं रमियौ जेथ।
हुआ क्रिसन कळिमळ हरण, तीरथ पग-पग तेथ ॥5॥

दळत नहीं जो तूं दुसट, करे जनम ध्रम क्रीत।
हरि तौ कोई तीरथ न हुत, पितर न प्रांमत प्रीत॥6॥

ममता डाकण माहरा, राघव काढ़ि रिदाह।
वन गज जे केहरि वसै, त्रासै मृघला ताह॥7॥

छन्द रंगीक

व्रहमा विसन ईस, जग रूपी जगदीस,
ब्रहमंड इकवीस, घाट घड़णां निमो।

सकति सावित्री सीत, पुरिख गोरी प्रवीत,
जरा काळ अणजीत, जुग जरणां निमो।

जद इन्द्र जसवास, जपै सुणै नर जास,
वससै वैकुंठ वास, मिटै मरणां निमौ।

विसन लीला विलास, रचै केता वार रास,
भवोभव तींह दास, ईसर भणां निमो॥
स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : ईसरदास बारहठ ,
  • संपादक : चन्द्रदान चारण ,
  • प्रकाशक : राजस्थान भासा साहित्य संगम (अकादमी), बीकानेर (राजस्थान) ,
  • संस्करण : तृतीय
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