आत्म ब्रिह्मा ऐक होय जाई, ईश्वर जीव भेद नहिं भाई।

भेद मिटै जब जीव अनंता,ईस कर्म करहें हि सब संता॥

आत्मा रौ संबंध जद ब्रिहमा सूं होय जावै,उण स्थिति में ईश्वर अर जीव रै बीच मांय किणी भांति रौ भेद नहीं होवै। जीवात्मा रौ जद परमात्म सूं ऐक्य होय जावै उण दिन अनन्त जीवां मांय ईश्वर रौ बास होय जावै।

स्रोत
  • पोथी : जम्भसार ,भाग - 1-2 ,
  • सिरजक : साहबराम राहड़ ,
  • संपादक : स्वामी कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : स्वामी आत्मप्रकाश 'जिज्ञासु', श्री जगद्गुरु जंभेश्वर संस्कृत विद्यालय,मुकाम , तहसील - नोखा ,जिला - बीकानेर ,
  • संस्करण : द्वितीय
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