खींचत चीरहि नार पुकारी, कृष्ण कृष्ण हे कृष्ण मुरारी।
खेंचत चीर अनंत बधि गयेऊ, सबहि सभा कहु अचरज भएऊ॥
चीर हरण रै फगत द्रोपदी श्री कृष्ण मुरारी सूं अरदास कर रही है।श्रीकृष्ण कृपा सूं ज्यूं -ज्यूं कौरव चीर खेंचता गिया त्यों-त्यों चीर बधतौ गियौ। आ
घटना देख'र सगळी सभा मांय अचंभौ हुयौ।